जंगल का राजा कहा जाता है शेर, लेकिन यह शिकार करने में बहुत सफल नहीं हो पाता है। दक्षिण अफ्रीका और भारत में ही मिलते हैं। भारत में खासकर गुजरात के गिर के जंगलों और काठियावाड़ के क्षेत्र में। कैट (बिल्ली) फैमिली में यह दूसरा सबसे बड़ा सदस्य है। इससे बड़ा टाइगर यानी बाघ होता है, जिसकी लंबाई करीब 13 फुट और वजन करीब 300 किलोग्राम होता है। नेशनल जियोग्राफिक की मानें तो अफ्रीकी शेर की लंबाई दस फुट और वजन करीब 227 किलोग्राम होता है। आठ किलोमीटर दूर तक शेर की दहाड़ सुनाई देती है। जन्म लेते ही इनकी आवाज आने लगती है। जन्म लेने के एक साल बाद इनकी दहाड़ सुनाई देती है। ये परिवार में रहते हैं। शेर बहुत अच्छा शिकारी नहीं होता है, लेकिन ये बहुत अधिक मीट खाते हैं। इनके शिकार करने की औसत सफलता दर करीब तीस फीसद है। ये नौ किलो मीट एक दिन में खा सकते हैं। बीमारियों, शिकार और आवासन की समस्या की वजह से इनकी संख्या कम हो रही है। अफ्रीका के जंगलों में करीब बीस हजार ही शेर बचे हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो शेरों के मुकाबले बाघ ज्यादा उग्र होते हैं। ऐसा माना जाता है कि शेर आलसी होते हैं और तब तक कुछ नहीं करते, जब तक उन्हें किसी तरह की जरूरत नहीं होती है। शेर ज्यादातर समूह में रहना पसंद करते हैं। समूह के लिए मादा शेरनी शिकार करती है। वहीं बाघ शिकार करना पसंद करते हैं। वे अपना शिकार खुद करते हैं। शेर, बाघ व तेंदुआ आमतौर पर तब हमला करते हैं जब मादा अपने बच्चों के साथ हो, अपने क्षेत्र में किसी व्यक्ति के दखल देने की स्थिति में या वह आदमखोर है। यदि ऐसे जीव सामने हों तो घूरने के बजाय सहज भाव से देखें। भागने पर शिकार समझ लेगा और बैठने पर दूसरा जानवर समझेगा। बेहतर है कि उसे देखते हुए बगैर मुड़े पीछे की ओर धीरे-धीरे बढ़ें।